Tuesday, December 7, 2010
दीनदयाल शर्मा की दो राजस्थानी कविताएं
बूढा मा-बाप
बूढा मा-बाप
घर रा
जींवता-जागता ताळा
अर घर रा रूखाळा।
जुवान मा-बाप
मन री
सगळी बात
पूरी करै
हातोहात।
(Photo : Children writer Deendayal Sharma with Mother Maha devi Joshi)
दीनदयाल शर्मा की दो राजस्थानी कविताएं
दीनदयाल शर्मा की दो राजस्थानी कविताएं
बूढा मा बाप-1
आं री
एक ई ठौड़
अब
बंद होयगी दौड़।
बूढा मा बाप-2
आं कन्नै
कुण बैठै रोज
सबनै लागै बोझ।
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