औळमौ / दीनदयाल शर्मा
पांच बरसां री
बेटी मानसी
केठा
क्यूं निराज है
घर रै
एक खुणै में खड़ी
मन्नै देखतांईं
फूट पड़ी
पापा
आपरी जोड़ायत नै
समझाल्यौ
मन्नै लड़ती रैवै
घर-घर खेलूं
तो कैवै पढ
चित्र बणाऊं
तो कैवै पढ
किणी सूं
बात करूं
तो कैवै पढ
काणी सुणाण रौ
कैवूं
तो कैवै पढ
आखै दिन
पढ-पढ'ई
क्यूं कैवै मम्मी
मेरै सूं
बात क्यूं कोनी करै
मम्मी
म्हां सूं
बात कर मम्मी।