भींत / दीनदयाल शर्मा
म्हे रै'वां
एक घर में
तीन घर बणा'र
अर
भींत ...
भींत क्यूँ देखै
कोई दूजो,
क्यूँ कै
भींत बणा राखी है
म्हे आपरै आपरै
भीतर...
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