राजस्थानी दूहा-
करम सुधारै काज / दीनदयाल शर्मा
बेदां नै तूं बांचले, पाछै कलम पलार।। 1
मे'नत कर तूं मोकळी, झूम बराबर झूम।। 2
घोचो बणसी घेसळौ, लूंठां लोग लगाम।। 3
भायां में भारी पड़ै, रोज करैलौ राज।। 4
रूखी खा ले रोटड़ी, जिनगी रा दिन च्यार।। 5
घट-बध नीं होवै घड़ी, रै'वै अेक रफ्तार।। 6
गांव गु'वाड़ी गोरुवैं, ढम-ढम बाजै ढोल।। 7
लुक्खी सूखी खायके, पालर पाणी पीय।। 8
सुपणां लेवै सो'वणां, सांचौ बण सरदार।। 9
सगळा करै सरावनां, आखौ कै' अनमोल।। 10
No comments:
Post a Comment