Saturday, December 4, 2010

दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी कविताएं


दीनदयाल शर्मा की राजस्थानी कविताएं

टाबर - 1

टाबर हांसै-मुळकै
अर
करै मीठी-मीठी बातां
टाबर
सदांईं बोलै
सांच

आपां
टाबरां सूं सीखां
आपां
टाबरां ज्यूं दीखां।

टाबर - 2

टाबर सूं
कोई
क्यूं नीं
करै बात

स्यात
इण कारण
कै
टाबर री
हरेक बात में
हुवै सुवाल।

टाबर - 3

टाबर
मार खाण रै
थोड़सीक ताळ पछै
हुज्यै
बीस्या रा बीस्या

टाबर
नीं बांधै गांठ

अर आपां
छोटी सी बात माथै
बांधल्यां घुळगांठ।

टाबर -4

टाबरां नै
नीं खेलणद्यै
मा-बाप
माटी में


माटी सूं
कियां हुवै मोह
टाबरां नै

स्यात
इणी कारण
चल्याजै
थोड़साक बड्डा हुंवतांईं
टाबरिया परदेस।

टाबर - 5

टाबर
कित्ता बोलै सांच
नीं जाणै
बणावटी बातां
जात-पांत

अर
भेदभाव भी
नीं जाणै
टाबर

स्यात जदी हुवै
टाबर
भगवान रौ रूप।

1 comment:

  1. सच में अस्यो होवै है टाबर ....... सोवणी रचना

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