Saturday, December 4, 2010

औळमौ / दीनदयाल शर्मा


औळमौ / दीनदयाल शर्मा

पांच बरसां री
बेटी मानसी
केठा
क्यूं निराज है

घर रै
एक खुणै में खड़ी
मन्नै देखतांईं
फूट पड़ी

पापा
आपरी जोड़ायत नै
समझाल्यौ
मन्नै लड़ती रैवै

घर-घर खेलूं
तो कैवै पढ

चित्र बणाऊं
तो कैवै पढ

किणी सूं
बात करूं
तो कैवै पढ

काणी सुणाण रौ
कैवूं
तो कैवै पढ

आखै दिन
पढ-पढ'ई
क्यूं कैवै मम्मी

मेरै सूं
बात क्यूं कोनी करै
मम्मी

म्हां सूं
बात कर मम्मी।

No comments:

Post a Comment