नैतिकता रा दूहा
मिनख जमारौ मो'वणों,
चोखा कर ले काम,
माटी थूं बण जायसी,
जग में रै'सी नाम..
लख चौरासी जूण में,
मिनख जमारौ ताज,
चौखौ घणो न सोवणो,
नित उठ कर तूं काज..
3.
दरखत जण रा जीवड़ा,
दरखत थूं ना काट,
दरखत मिटसी जगत में,
बचै न टूंडो लात..
4.
चोरी चुगली झूठ में,
मती गंवा थूं नूर,
हिड़दै सांच उतार ले,
मिलै लाड भरपूर..
5.
नां तरसा थूं मायतां,
वणा दिरा नां रीस,
कर ले सेवा मायतां,
आंतड़ियां , आसीस..
6.
जिनगी बोझ न समझ थूं,
क्यूं रोवै थूं यार,
हंसी - खुसी थूं बाँट ले,
जिनड़ी रा दिन च्यार..
7.
मार जिनावर खायगे,
थूं क्यूं बने मुसाण,
साकाहारी जीव थूं,
जीव जगत नै जाण..
8.
गीगी गरभ न मारियो,
गीगी लिछमी रूप,
छोरां सारू छाँवड़ी,
क्यूं समझो थे धूप..
9.
देणों लेणों नीं भलो ,
ब्या' मुकलावै दाज,
पढ लिख पगां चलाय द्यो,
टाबर करसी राज़..
10.
नसौ न चौखौ जीव नै ,
नसड़ो माड़ो काम,
नसड़ो गालै देह नै,
करद्ये काम तमाम..
Srijan 02. 04.2009
by Deendayal Sharma
http://www.deendayalsharma.blogspot.com
bhot badhiya...
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