Wednesday, July 14, 2010

राजस्थानी गीत / दीनदयाल शर्मा

ले बैठ्या किरसाणां नै भई ओळा रै

खेतां री सींवां दब्या घणां बम गोळा रै

ले बैठ्या किरसाणां नै भई ओळा रै

लूला लंगड़ा पांगळां री भीड़ अठै

मजबूरयाँ में बैठ्या क्यूं कै नीड़ अठै

काळां नै तोड़ां छाती करड़ी करगे रै

सै'रां में स्याणां गांवां में भई भोळा रै।

जोबन भरी अ' फसलां आडी पडग़ी रै

टैम टपैलो कियां गाडली अडग़ी रै

हरियल खेतां ओढ लिया अब धोळा रै।।

बादूड़ी रो ब्या' मंड्योड़ौ भी रुकग्यौ

सेठां री सा'मीं जावां तो सिर झुकग्यौ

पीतर पीर सांवरिया लागै बोळा रै।।

ढांढां नै ढोवां कै ढूँढा ठीक करां

मजबूरयाँ में जीवां बताऔ कठै मरां

करड़ी छाती करस्यां नीं ल्यां झोळा रै।।

सूरतगढ़ अर हड़मानगढ़ बस जातरा रै बीच

तारीख : 22.02.2005, टैम : 4:30 बजे सिंझ्या

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